कौन नहीं चाहता कि जब वह सुबह उठे तो उसे माथे पर शिकन नहीं बल्कि सुकून की लाली हो. होठों पर मुस्कुराहट हो. कानों में मन को छू लेने वाला संगीत हो! लेकिन इन कल्पनाओं से उल्ट होता यह है कि सुबह उठते ही काम पर जाने की जल्दी, इस जल्दी में अपनों की नाराजगी, गलतफहमियां और भी फिर तनाव!
नतीजा की दीवारें कलह की आदी होने लगती हैं. कभी माता—पिता में गलतफहमियां तो कभी बच्चों के बीच विवाद दिनचर्या में शामिल होते जाते हैं. पर क्या आपने सोचा है कि आखिर ऐसा क्यों होता है?
दरअसल सारा दोष कर्मों और हालातों का ही नहीं होता बल्कि हमारी छोटी—छोटी गलतियों का परिणाम भी हो सकता है. वास्तु में उन नियमों का वर्णन किया गया है, जिसका पालन करने वाली महिलओं के घरों में कलह कभी दस्तक नहीं देती. मुंबई की वास्तुशास्त्री रूपा बैनर्जी बताती हैं कि अगर पत्नियां किचिन और कूकिंग से जुड़ी गलतियां करती है तो पति का भाग्य बिगड़ सकता है और फिर यही आगे चलकर कलह की वजह बनता है. इसलिए महिलाओं को किचिन में काम करते समय छोटी—छोटी बातों का ख्याल रखना चाहिए.
पूर्व दिशा से सबसे उत्तम
वास्तु शास्त्र दिशाओं की शक्ति पर आधारित है. इसके अनुसार पश्चिम दिशा की ओर मुंह करके खाना बनाना सामान्य फलदायक रहता है. जबकि पूर्व दिशा की ओर मुंह करके खाना बनाना परिवार की सेहत के लिए सबसे बेहतर है. ज्योतिष में भी पूर्व दिशा को सकारात्मक माना गया है. घर में किचन किसी भी दिशा में हो लेकिन यदि खाना पूर्व दिशा की ओर मुंह करके बनाया जाए तो यह लाभकारी रहता है.
बचें दक्षिण से
वहीं दूसरी ओर किचन में दक्षिण-पश्चिम दिशा के कोने की ओर मुंह करके खाना बनाना नकारात्मक एनर्जी को घर में प्रवेश दिलाता है. इससे लड़ाई-झगड़े होने की संभावना बनी रहती है. उत्तर दिशा की तरफ मुंह करके खाना बनाने पर हानि के योग बनते हैं.
यदि पूर्व दिशा की ओर मुंह करके खाना बना रहीं हैं तो प्रयास करें कि इस दीवार पर एक खिड़की हो. इससे सुबह—सुबह सूर्य का प्रकाश घर में सकरात्मक एनर्जी के साथ प्रवेश करेगा. वास्तु के अनुसार किचन के ठीक सामने बाथरूम नहीं होना चाहिए. अगर ऐसा है तो बाथरूम का दरवाजा हमेशा बंद रखें और उस पर एक पर्दा भी अवश्य लगाएं.
ध्यान रखें यह नियम
वास्तु हो या ज्योतिष, दोनों ही जगह इस बात को अनिर्वायता दी गई है कि खाना नहा—धोकर ही बनाना चाहिए. खाना बनाते समय सफाई का विशेष महत्व है. खाना बनाने में जितनी सफाई चाहिए उतना ही जरूरी है खुद को स्वच्छ और पवित्र रखना. इसलिए सुबह किचिन में नहाकर प्रवेश करें. यह दुर्भाग्य को खत्म करता है.
सुबह की पहली रोटी और शाम आखिरी रोटी गाय को जरूर दें. यदि इस नियम को धारण करेंगे तो विश्वास रखें कि आपके घर परेशानियां झांकेंगी तक नहीं. रोटी के साथ गुड या शक्कर अवश्य रखें. गाय और कुत्ते को जूठा भोजन न कराएं.
इसके साथ ही याद रखें कि जब खाना पूरा बन जाए तो उसे भोग के रूप में पहले भगवान को अर्पित करें. कुछ देर भगवान के मंदिर में भोजन की थाली रखे रहने के बाद उठा लें और फिर उस खाने को अपने घर के खाने में मिला दें. ऐसा माना जाता है कि यह भगवान की जूठन होती है, जो आर्शीवाद के रूप में घर के हर सदस्य को मिले तो उसका चित्त शांत रहता है.