वास्तु डेस्क। रसोई से अक्सर टेस्टी खाने की खुशबू तो निकलती है, लेकिन इस खाने को खाने के बाद भी खुशी की झलक नहीं दिखती। खाना बनाने वाले से लेकर खाने वाले तक का मन उदास रहता है। चाहे कितना भी टेस्टी खाना क्यों न बन जाए उससे मूड ठीक नहीं होता। तो यकीन मानिए कि प्रॉब्लम आपके हाथों के टेस्ट में नहीं बल्कि किचिन के डिजाइन की है। वास्तु के अनुसार किचिन में हमेशा खुशियों का तड़का लगते रहना चाहिए और इसके लिए जरूरी है कि वास्तु के कुछ जरूरी नियमों का पालन किया जाए।
वास्तु के अनुरूप ऐसा हो किचिन का डिजाइन
0 कुकिंग स्टोव, गैस का चूल्हा या कुकिंग रेंज किचिन के दक्षिण पूर्वी कोने में रखें। ध्यान रहे कि खाना बनाने वाला व्यक्ति, खाना बनाते वक्त पूर्व दिशा की ओर मुंह करके बैठे।
0 पानी के भंडारण अथवा पानी फिल्टर सिस्टम उत्तर पूर्व दिशा में रखें। सिंक का स्थान भी इसी दिशा में हो।
0 किचिन में उपयोग होने वाले इलेक्ट्रानिक सामान दक्षिण पूर्व अथवा दक्षिण दिशा में रखें।
0 अनाज, मसाले, दाल, तेल, आटा और अन्य खाद्य सामग्रियों, बर्तन, क्रॉकरी इत्यादि के भंडारण के लिए स्थान पश्चिम या दक्षिण दिशा में बनाना चाहिए।
0 वास्तु अनुसार रसोई घर की कोई दिवार शौचालय या बाथरूम के साथ लगी नहीं होनी चाहिए। साथ ही रसोई का दरवाजा उत्तर, पूर्व या पश्चिम दिशा में खुलना चाहिए।
0 रसोई घर में पूजा का स्थान नहीं होना चाहिए। घर में पूजाघर के लिए अलग स्थान का चुनाव करें।
0 डायनिंग रूम किचिन के साथ नहीं बनाना चाहिए। डायनिंग रूम उत्तर पश्चिम दिशा में होना बेहतर होता है।