
शादी! यह ऐसा शब्द है जिसका नाम आते ही हर कोई ख्यालों में खो जाता है. ख्याल सपने बुनने वाले या शरमा जाने वाले नहीं बल्कि डर और आशंकाओं से घिरे हुए. शादी के मायने भले ही अब भी वही हों जो गुजरे वक्त में थे लेकिन शादी करने वालों की सोच जमाने के साथ बदल चुकी है. अब सात वचनों में पत्नी को पति की आज्ञा से बांधा नहीं जा सकता. वह शादी के बंधन में भी अपनी आजादी का एक कोना चाहती है. जीवन में हर काम पति की आज्ञा से हो यह जरूरी नहीं बल्कि अपनी सोच और समझ को भी उतना ही महत्व देना चाहती है.
हालांकि यह सोच पति की ओर से भी पुख्ता होती जा रही है. वह जेब खर्च का सारा हिस्सा पत्नी को नहीं दे सकता, उसे खर्च की आजादी चाहिए. यानि अब शादी का बंधन ऐसा हो जहां दो लोग एक दूसरे के साथ बंधा हुआ नहीं बल्कि आजाद महसूस करें. आजादी दोनों की.
यदि वाकई ऐसा है तो अब शादी के पौराणिक सात वचनों से पहले मॉर्डन जमाने के सात वचनों को भी फेरों के साथ ही दोहरा लेना चाहिए. ये सात वचन कौन से है, चलिए जानते हैं…
पहला वचन— मिल बांटकर करेंगे हर काम
इस जमाने की यह पहली जरूरत है, कि मियां बीवी हर काम मिल बांटकर करें. जब महिलाओं का दायरा चूल्हे—चौके से निकलकर दफ्तर की चौखट तक पहुंच गया है तो फिर पुरुषों को किचिन में आने से संकोच नहीं करना चाहिए. यदि पत्नी आर्थिक रूप से पति की संगिनी है तो घर की जिम्मेदारियों को उठाने में पति को भी साथी की भूमिका निभानी होगी.
दूसरा वचन— भावनाओं का ख्याल
चूंकि अब पति—पत्नी दोनों कामकाजी हैं. शादी से पहले और शादी के बाद के शुरूआती दिन जितने खुशनुमा होते हैं वे उतने ही बोझिल होने लगते हैं जब दोनों काम पर वापिस लौटते हैं. इसलिए जरूरी है कि काम के तनाव को रिश्तों से दूर रखा जाए और एक दूसरे की भावनाओं को महत्व दिया जाए. यह जरूरी नहीं कि प्यार जताने के लिए किसी विशेष तारीख के मोहताज हों, यदि फीलिंग्स हैं तो उन्हें बयां करें, उम्र के हर पड़ाव पर.

तीसरा वचन— सम्मान दोनों का
सम्मान ऐसी चीज है जो हर कोई चाहता है. यदि पत्नी की जिम्मेदारी है कि वह अपने पति और ससुराल का मान रखे तो यह जिम्मेदारी पति की भी बनती है. अब वह वक्त नही है जब हर अपेक्षा केवल नई नवेली बहू से की जाए. बल्कि पति और पत्नी दोनों को एक दूसरे का सम्मान बरकरार रखना जरूरी हो गया है.
चौथा वचन— अपनी हाइजीन का ख्याल
लाइफ स्टाइल में आ रहे बदलावों ने कई तरह के नए हाइजीन को पैदा कर दिया है. ऐसे में एक जिम्मेदारी अपने अपने स्वास्थ्य के प्रति भी बनती है. यह जिम्मेदारी है कि दोनों सेक्स लाइफ में अपनी—अपनी हाइजीन का ख्याल रखें. पार्टनर को किसी तरह का सेक्सुअल इंफेक्शन न हो, इस बात को आप हाइजीन का ख़्याल रखकर ही सिक्योर कर सकते हैं.
पांचवा वचन—मर्जी थोपने की जगह नहीं
जब हम सिंगल होते हैं तो जीवन में अपनी मर्जी होती है. माता पिता भी बच्चों को उनकी मर्जी से जीने देते हैं. लेकिन दिक्कत तब होती है जब शादी के बाद अपनी मर्जियां पार्टनर पर थोपी जाने लगें. प्यार में अक्सर कपल्स एक-दूसरे को ख़ुश करने के लिए पार्टनर की हर इच्छा को पूरी करते हैं, पर इस ख़ुशी को मजबूरी कभी न बनने दें. यह ध्यान में रखना जरूरी है कि जिस तरह आपको अपनी मर्जी की चीजें करना पसंद है, वैसे ही उसे भी हो सकतीं हैं. ऐसे में यह ध्यान रखें कि कुछ भी करने से पहले पार्टनर की सलाह लें, चाहे बात सेक्सुअल रिलेशन की ही क्यों न हो.

छटवां वचन—हेल्दी लाइफ स्टाइल
आज की हमारी लाइफस्टाइल में हेल्थ और फिटनेस बहुत ज़रूरी हो गया है. प्रॉब्लम तब आएगी, जब एक पार्टनर फूडी और दूसरा बहुत ही ज़्यादा फिटनेस कॉन्शियस होगा. यहां आप दोनों को बैलेंस करना होगा. दोनों को एक दूसरे को हेल्दी लाइफ स्टाइल अपनाने के लिए मोटीवेट करना जरूरी है.
सातवां वचन— खर्चे बराबरी के
हैप्पी मैरिड लाइफ में फाइनेंस की भी अहम् भूमिका होती है. यदि दोनों ही कामकाजी हैं तो दोनों पर घर चलाने की बराबर जिम्मेदारी है. जैसे पत्नी घर ख़र्च देखेगी, पति इन्वेस्टमेंट और सेविंग्स. इस प्रकार अपना फाइनेशियल प्लान तैयार कर लें और जिम्मेदारियों को बांट लें ताकि किसी एक पर बोझ न बनें.
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