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जीका वायरस: सिर्फ बचाव ही है इससे बचने का तरीका

Zika virus

जब परिवार में एक नन्हें—मुन्ने की किलकारी गूंजती है तो घर खुशियों से भर जाता है. तब कोई भी परेशानी ज्यादा नहीं लगती. उस मासूम के लिए सबकुछ वार दिए जाता है. लेकिन यही किलकारी जब एक खतरनाक वायरस का शिकार बनने लगे तो!

भारत में शिशु मृत्युदर की स्थिति पहले से बेहतर हुई पर चुनौतियां और भी हैं. फिलहाल देश के सामने जो चुनौती है उसका नाम है जीका वायरस. जो मासूम बच्चों को अपना शिकार बना रहा है. जयपुर में हाल ही में महज कुछ घंटों के भीतर जीका वायरस ने 135 बच्चों को अपनी चपेट में ले लिया. जब तक डॉक्टर्स कुछ कर पाते तब तक बच्चों के शरीर पर वायरस का असर दिखाई देने लगा. परिजनों की तो हालत खराब होने लगी. जब डॉक्टर्स कुछ न कर पाए तो लोगों ने भगवान को मनाना शुरू कर दिया पर क्या इतना काफी है?

एक्सपर्ट मानते हैं कि जीका वायरस की रोकथाम का फिलहाल एक ही उपाय है, यह उपाय है उससे बचाव. यानि जब तक जीका पर हमला करने वाला हथियार नहीं मिल जाता तब तक हमें उससे खुद को बचाकर रखना होगा. इस जंग में उतरने से पहले जान लेते हैं कि आखिर हमारा मुकाबला किससे है!

Zika virus

क्या है जीका वायरस

जीका वायरस एंडीज इजिप्टी नामक मच्छर से फैलता है. यह वही मच्‍छर है जो पीला बुख़ार, डेंगू और चिकुनगुनिया जैसे विषाणुओं को फैलाने के लिए जिम्मेदार होती हैं. संक्रमित मां से यह नवजात में फैलती है।. यह ब्लड ट्रांसफ्यूजन और यौन सम्बन्धों से भी फैलती है.

हालांकि, अब तक यौन सम्बन्धों से इस विषाणु के प्रसार का केवल एक ही मामला सामने आया है. जीका को पहचानना बहुत मुश्किल है क्योंकि इसके कोई विशेष लक्षण नहीं हैं. लेकिन मच्छरों के काटने के तीन से बारह दिनों के बीच चार में से तीन व्यक्तियों में तेज बुखार, रैशेज, सिर दर्द और जोड़ों में दर्द के लक्षण देखे गये हैं.

Zika virus

जीका वायरस से बचाव

इसकी रोकथाम के लिये अब तक दवाई नहीं बनी और न ही इसके उपचार का कोई सटीक तरीका सामने आया है. ब्राजील के स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसे अप्रत्याशित बताया और कहा कि विज्ञान ने अभी इसे रोकने में सफलता हासिल नहीं की है. इसलिए बचना ही बेहतर है. अमेरिका की सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल के अनुसार समूचे विश्व में इस तरह के मच्छरों के पाये जाने के कारण इस विषाणु का प्रसार दूसरे देशों में भी हो सकता है. भारत भी इससे अछूता नहीं रह सकता.

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