फैशन डेस्क। क्या आप जानते हैं कि जया बच्चन को मध्यप्रदेश की महेश्वरी प्रिंट की कॉटन साडिय़ां इतनी पसंद हैं कि वे ऑर्डर देकर यहां साडिय़ां मंगवाती हैं। भोपाल के पटौदी खानदान की बहू और जानीमानी अदाकारा शर्मिला टैगोर और उनकी बहू करीना कपूर को भी भोपाल का नवाबी टेक्सटाइल खासा पसंद है। प्रदेश में तैयार चंदेरी की साड़ी हेमा मालिनी ने अपनी दोनों बेटियों की शादी में पहनी थी। इससे साफ है कि बॉलीवुड में मध्यप्रदेश हथकरघा की खासी डिमांड है।
चंदेरी, टसर, महेश्वर जैसी हाथ की बुनी साडिय़ां, टाई एन्ड डाई, बाटीक, आभूषण, धातु और चमड़े की कलात्मक चीजें, टेराकोटा, कांच और स्टोनवर्क जैसी चीजें कलात्मकता की एक सुंदर दुनिया बनाती है।
चंदेरी
चंदेरी के छोटे से मध्ययुगीन शहर ने न केवल सदियों से बुनाई की दुर्लभ कला की रक्षा की है, लेकिन साथ-साथ राजसी और आधुनिक, दोनों तरह की सोच वाली महिलाओं की अभिरूचि के अनुकूल नए रूपों और डिजाइनों को विकसित किया है। चंदेरी के बुनकरों द्वारा रेशम और कपास की बनी तथा अतीत में कुलीनता का संरक्षण करनेवाली यह साडिय़ां मोहकता और वैभव का उमदा प्रतीक हैं। इन साडिय़ों पर बनी फल, फूल, पत्ते, और पक्षियों की रचना, प्रकृति की सुहानी याद दिलाती है।
टसर
अर्जुन, सफा और साई वृक्षों पर विशेष रूप से पाले गए कोश से प्राप्त टसर को गहरे पीले, सोने जैसे, शहद जैसे और क्रीम रंगों मे पाया जाता है। पवित्रता, सुंदरता और वैभव का प्रतीक मानी जानेवाली टसर साड़ी उत्सव के दौरान महिलाओं के लिए सबसे पसंदीदा विकल्प बनी रही है। बदलते समय के साथ टसर ने अपने परिवेश से रंग लेकर सवयं में बदलाव लाया है।
माहेश्वरी
18 वीं सदी ने रानी अहिल्याबाई होलकर की प्रतिभा से प्रेरित कला के इस रूप को खिलते देखा। यह माहेश्वरी साड़ी, जरी से अलंकृत थी जिसमें रेशम और कपास का सुंदर मेल था। अपने सामथ्र्य और लचिलेपन के उत्कृष्ट संयोजन के कारण इसने दुनिया भर में प्रशंसक पाए है। गुलदस्तां, घुंघरू, मयूर, चान्द तारा जैसे इस साड़ी की किस्मों के नाम भी अपने आप में कविता है।