नेशनल डेस्क। कृष्ण की जन्मभूमि में यूं तो हजारों मंदिर हैं। वहां के कण-कण में कान्हा बसते हैं लेकिन फिर भी भक्तों की श्रृद्धा है कि ऊंचाईयां छूती जा रही है। इसी ऊंचाई का कीर्तिमान स्थापित होने जा रहा है विश्व के सबसे ऊंचे मंदिर के रूप में। जी हां इस साल होली के दिन से इस्कॉन सोसायटी ने वृंदावन में दुनिया के सबसे ऊंचे मंदिर के कंस्ट्रक्शन का काम शुरू कर दिया। आइए जानते हैं कि कैसा होगा हमारे-आपके सपनों का मंदिर…
मंदिर के इंट्रेस्ंिटग फैक्ट्स
0 इसके लीड आर्किटेक्ट सिख धर्म से जुड़े जे. जे. सिंह हैं। जबकि अमेरिकन कंपनी के स्ट्रक्करल आर्किटेक्ट मुस्लिम हैं। वहीं, लिफ्ट डिजाइन करने वाले ईसाई हैं।
0 मंदिर की हाइट 210 मीटर होगी और इस बिल्डिंग में 70 फ्लोर बनाए जाएंगे। मुकेश अंबानी का एंटीलिया कुल 170 मीटर ऊंचा है और उसमें 27 फ्लोर शामिल हैं।
0 चंद्रोदय मंदिर को पिरामिड का डेवलप्ड फार्म कहा जा रहा है।
0 इसकी स्ट्रक्करल डिजाइनिंग के लिए इस्कॉन सोसाइटी ने अमेरिका की स्ट्रक्करल इंजीनियरिंग कंपनी थॉर्नटन टोमासेटी की सेवाएं ली हैं।
0 इस मंदिर के कंस्ट्रक्शन का जिम्मा गुडग़ांव की इनजीनियस स्टूडियो और नोएडा की क्विनटेसेंस डिजाइन स्टूडियो को सौंपा गया है।
0 2006 में इसकी परिकल्पना की गई और 8 साल की तैयारियों के बाद 2014 में नींव रखी गई।
0 प्रोजेक्ट डायरेक्टर दास के मुताबिक, इसकी नींव लगभग कुतुब मीनार की ऊंचाई जितनी गहरी खोदी गई है।
0 मंदिर की नींव 55 मीटर जमीन में गहरी होगी और इसका बेस 12 मीटर ऊंचा होगा। कुतुब मीनार की ऊंचाई 73 मीटर है। यानी कि कुतुब मीनार से कुल 6 मीटर कम गहरी।
0 इसका निर्माण 2022 में पूरा होगा।
ऐसी होगी मंदिर की इमारत
0 बिल्डिंग में 511 पिलर होंगे, जिनकी कैपेसिटी 9 लाख टन भार सहने की है। पूरी बिल्डिंग का वजन 5 लाख टन होगा। जबकि ये पिलर 9 लाख टन वजन सह सकता है।
0 चंद्रोदय पहला ऐसा पहला मंदिर होगा, जिसमें बड़े पैमाने पर ग्लास का प्रयोग किया जाएगा। ये ग्लास गर्मी को मंदिर के अंदर नहीं आने देंगे। भूकंप या तूफान के दौरान भी ग्लास नहीं टूटेंगे।
0 18 एकड़ में 12 वनों के प्रतिरूप होंगे और आर्टिफिशियल यमुना बनेगी। इसमें लोग बोटिंग कर कृष्ण की लीलाओं के बारे में जानकारी ले सकेंगे। लोगों को वास्तविक वनों की फील मिलेगा।
0 12 जंगलों में तालवन (खजूर के वन), भांदिवन (वट वृक्ष वन), वृंदावन (तुलसी का वन) और निधिवन आदि शामिल हैं।
0 टॉप फ्लोर पर व्यूइंग गैलरी होगी, जहां टेलिस्कोप की मदद से विजिटर्स श्रीकृष्ण का जन्मस्थान, गोवर्धन पर्वत जैसे बृज के धार्मिक स्थल देख सकेंगे।
भीतर होंगे तीन मंदिर
0 मुख्य चंद्रोदय मंदिर के अंदर तीन मंदिर होंगे। पहला मंदिर चैतन्य महाप्रभु का होगा। दूसरा मंदिर राधाकृष्ण और तीसरा मंदिर कृष्ण व बलराम का होगा। ये मंदिर जमीन से 12 मीटर की ऊंचाई तक होंगे। इन तीन मंदिरों की कैपेसिटी 35 हजार विजिटर्स की होगी।
मंदिर के लिए हाई स्पीड लिफ्ट तैयार की जा रही है। यह एक सेकंड में 8 मीटर (दो मंजिल) की 0 रफ्तार से चलेगी। यदि किसी तूफान की वजह से बिल्डिंग एक मीटर झुक भी गई तो भी लिफ्ट सीधी चलती रहेगी। गति और दिशा में परिवर्तन नहीं होगा।
0 मंदिर का पाकिंज़्ग लॉट 35 सौ गाडिय़ों की कैपेसिटी का होगा। मंदिर परिसर में 10 एकड़ में 2 फ्लोर अंडरग्राउंड पार्किंग होगी। मंदिर परिसर में बैटरी से चलने वाली फ्यूचर कारों के लिए अलग पार्किंग होगी, जिसमें कार को चार्ज किया जा सकेगा।
0 मंदिर का मुख्य भवन के निर्माण में पांच सौ करोड़ रुपए खर्च होंगे। 150 करोड़ रुपए की अंडरग्राउंड पार्र्किंग बनेंगे। सड़क निर्माण में 50 करोड़ रुपए खर्च होंगे। इसके अलावा 12 तरह के वन व कृत्रमि यमुना का खर्च अलग है। मंदिर की हाइट 210 मीटर होगी और इस बिल्डिंग में 70 फ्लोर बनाए जाएंगे।
0 मंदिर की साइट सुनरक क्षेत्र के पास है। 5000 साल पहले यहां पर कालिया नाग का वास था। उसके विष की वजह से मीलों दूर तक मिट्टी बंजर हो गई थी। आज भी यहां सरसों के अलावा कोई फसल नहीं होती, जल प्रदूषित है और पेड़ कम हैं। इसके बावजूद यहां पर वैज्ञानिक तरीके से वन लगाए जाएंगे। मंदिर के नीचे इंडोर कृष्ण लीला पार्क होगा, जहां पर बृज का सांस्कृतिक कार्यक्रम, इंडियन फिलॉसफी पर रिसर्च, लाइब्रेरी आदि होंगे।
0 इस कृष्ण लीला पार्क में 4डी तरीके से भगवान कृष्ण के लीलाओं के बारे में बताया जाएगा। इससे देखने वालों को महसूस होगा कि कृष्ण की लीलाएं उनके आसपास ही हो रही हैं। इसी पार्क में सारे लोकों के दर्शन होंगे, जिसमें भूलोक, स्वर्गलोक, वैकुंठ लोक, गोलोक धाम का काल्पनिक स्वरूप देखने को मिलेगा।
0 चंद्रोदय मंदिर के विंड प्रेशर का एनालिसिस आरडब्ल्यूएडीए कंपनी ने किया है। इसी कंपनी ने दुबई के बुर्ज खलीफा प्रोजेक्ट पर भी काम किया है। पिछले 500 साल का हवा के दबाव के आंकड़े से यह एनालिसिस किया गया है। आंध्र प्रदेश में 110 किलोमीटर की रफ्तार के तूफान ने तबाही मचा दी थी। चंद्रोदय मंदिर की बिल्डिंग 170 किलोमीटर की रफ्तार का तूफान झेल सकेगी। इतनी रफ्तार पर पूरी बिल्डिंग अधिकतम एक मीटर झुकेगी।