स्पेशल डेस्क। जिंदगी जीने के लिए हर किसी का अपना सलीका और सिद्धांत है। युवा अपनी सोच के मुताबिक तेजी से आगे बढ़ जाने में यकीन रखते हैं जबकि बुजुर्ग चाहते हैं कि जीवन को जल्दबाजी में बर्बाद न किया जाए। घर के छोटे-बड़े काम हो या जीवन का कोई भी फैसला, युवा और बुजुर्गों की राय हमने पूरब और पश्चिम की तरह होती है। यही व्यवहार आज दो पीढिय़ों के बीच दूरियों का कारण बन रही है और लोग ज्वाइंट फैमिली की अपेक्षा सिंगल रहना पसंद कर रहे हैं।
क्या यही है वजह
किसी भी बात पर बुजुर्ग अपने अनुभव के आधार पर तर्क और फैसला देते हैं जबकि युवा तात्कालिक हालातों के आधार पर उत्साह में निर्णय लेते हैं। जैसे ही यह स्थिति आगे बढ़ती है बात तर्क-विर्तक पर पहुंच जाती है और फिर जोरदार मतभेद। इतना ही नहीं, हर नई पीढ़ी विचारों में पुरानी से अलग है और आगे भी रहती है। वर्तमान में युवा पीढ़ी भी बिना किसी तर्क के बात स्वीकारती नहीं और बुजुर्गोंं को लगता है कि वे बड़ों की बात नहीं मानते। यही कारण है कि उनके अहं को ठेस पहुंचती है। वे धीरे-धीरे युवा पीढ़ी से दूरी बनाना बेहतर समझते हैं और फिर ये खाई बढ़ती ही जाती है।
क्या करें जब ऐसे हों हालात
0 घर में ऐसे हालात पनपने पर शीत युद्ध का माहौल बन जाता है। ऐसे में परिवार के बाकी सदस्यों को समझदारी से काम लेते हुए, दोनों पक्षों के मूड को बदलने की कोशिश करनी चाहिए।
0 बुजुर्गों की बात शांतिपूर्वक सुनें। अगर आप उनकी बात से सहमत नहीं हैं तो उन्हें नफे-नुकसान सहित समझाएं। उनकी उम्र का लिहाज करते हुए बात को काटने के बजाए उनका सम्मान करें।
0 अपने विचारों में लचीला रुख अपनाएं। यानी कभी कोई बात बिना तर्क भी मान लेनी चाहिए। आखिर बुजुर्गों के पास भी अनुभवों का पिटारा है।
0 समय का संयोजन कर बुजुर्गों के साथ वक्त बिताएं। उनके हाल-चाल पूछें। कभी-कभी उनकी पसंदीदा जगह की सैर करवा दें।
शायद काम आएं ये बातें
0 अपने विचार थोपने के बजाए लचीला रुख अपनाएं। हठधर्मिता अपनाने से अपने दूर हो जाते हैं।
0 युवाओं को उचित- अनुचित का फर्क समझाया जाए तो वे जल्दी मानेंगे।
0 कभी-कभार युवाओं की तर्कशक्ति को सराहें तो वे आपकी बात टालने से पहले कई बार सोचेंगे।
0 आज के तकनीकी युग में युवा वर्ग वैचारिक बौद्धिता के मामले में किसी से कम नहीं है। इस बात को समझने का प्रयास करें।
0 युवाओं से बार-बार यह कहना कि उनके पास आपके लिए वक्त नहीं है, सही नहीं। उनकी व्यस्तता और प्राथमिकताओं को समझे। यह माने की समय बदल गया है और जीने के तरीके में आपको भी बदलाव लाने की जरूरत है।