स्पेशल डेस्क। वाइफ कूल है, खूबसूरत है, कामकाजी है और तारीफ के लायक हर बात है उसमें लेकिन फिर भी कुछ कमी सी लगती है। हसबैंड प्यार करते हैं, खूब खर्च करते हैं लेकिन कुछ तो है जो उनमें नहीं। यही कुछ तलाशने के लिए निगाहें अपने आप अपना घर छोड़कर बाहर निकल पड़ती हैं। जब पति-पत्नी के रिश्ते में ऐसे हालात बनने लगें तो समझ लेना चाहिए कि एक रिश्ता दम तोड़ रहा है और एक गैर जरूरी रिश्ता पनपने लगा है। ऐसे में वो की दस्तक होती है, और हम अनजाने में वो के इतना करीब आ जाते हैं कि अपना सबकुछ पीछे छूट जाता है। ऐसा क्यों होता है जानिए फैमिली काउंसलर आफताब अहमद से…।
जब जल्दी हो जाए शादी
स्कूल, कॉलेज, ऑफिस सब कुछ सेट करते ही शादी। यह एक्सट्रा मेरिटल अफेयर की बड़ी वजह बनती जा रही है। क्योंकि सब कुछ सेट करने के चक् कर में अक्सर यूथ अपनी लाइफ जीना भूल जाते हैं और शादी के बाद उन्हें यह कमी ज्यादा अखरने लगती है। कॉलेज लाइफ को अपनी मेरिटल लाइफ में जीने की नाकाम कोशिश ही लोगों को घर से बाहर नए संबंध बनाने के लिए मजबूर करती है। इन हालातों में किसी ऐसे से हो जाती हैं जिनकी आदतें और नेचर दोनों ही मेल खाते हों तो उसकी ओर आसानी से अट्रैक्शन हो जाता है।
कितना बदल गया सबकुछ
शादी के बाद आने वाले बदलाव और जिम्मेदारियों के बीच तालमेल नहीं बैठ पाने के कारण भी नए संबंधों के प्रति आकर्षण बढ़ जाता है। फैमिली प्रॉब्लम्स जैसे किसी की डेथ, जॉब चले जाने, फाइनेंशियल प्रॉब्लम्स को झेल नहीं पाना। पति के बर्ताव या पत् नी के रवैए के साथ तालमेल नहीं होना मजबूर कर देता है कि सुकून की तलाश में कहीं और जाया जाए। ऐसे में नए दोस्त और दोस्त से बढ़कर कुछ और बनने में वक्त नहीं लगता।
बारी आए पेरेंट्स बनने की
पति-पत्नी के बाद माता-पिता बनने की जिम्मेदारी जब कंधों पर आ जाती है तो दोनों ही अपने-आप को जिम्मेदारियों के तले दबा हुआ महसूस करते हैं। दोनों की प्रियोरिटीज काफी हद तक बदल जाती हैं। खासतौर पर पहले की तरह एक दूसरे के लिए समय निकालना मुश्किल होता है और अकेलापन गहराने लगता है। महिलाएं अपना ज्यादा से ज्यादा वक्त बच्चों की देखभाल में निकाल देती हैं जिससे पुरुषों को अपनी इम्पॉर्टेंस खोती हुई सी नजर आने लगती हैं।
जब हो इमोशन अत्याचार
इमोशनल अटैचमेंट खत्म होने लगे तो रिश्ता चाहे पति-पत्नी का हो या किसी और का, वह ज्यादा दिन टिक नहीं पाता। अटैचमेंट को बनाने के लिए आपसी बातचीत, एक-दूसरे को सुनना, फीलिंग्स शेयर करना बहुत ही जरूरी होता है। जब इन सारी चीजों के मिलने की उम्मीद पार्टनर की ओर से नहीं दिखती तो बाहर इस तरह के संबंध बनने लगते हैं।
शादी के बाद पुरुष और महिलाएं कई बार अपने लाइफ की प्रियोरिटीज को डिस्कस नहीं करते। गुजरते समय के साथ उन्हें लगने लगता है कि ऐसा कोई होना चाहिए जिसके साथ वो अपनी इस तरह की फीलिंग्स और बातों को बिना किसी संकोच के शेयर कर सकें।
एक्साइटमेंट का दी एण्ड
वीकेंड प्लान मंथली और फिर धीरे-धीरे ईयरली बनने लगे तो समझे एक रिश्ता दम तोडऩे की कगार पर पहुंच गया है। और इन्ही हालातों में जब कोई और लाइफ में एक्साइटमेंट भरने की कोशिश करता है तो उसके प्रति आर्कषण होना स्वभाविक है। रिलेशनशिप में एडवेंचर और एक्साइटमेंट खत्म होने की कगार पर पहुंचने लगे तब अकेलेपन घेरने लगता है और इस वक्त में एक नई रौशनी दिखती है लेकिन यह रौशन एक रिश्ते को अंधेरे में भी धकेल देती है।