स्पेशल डेस्क। त्वचा पर होने वाले बदलाव कई बार दिखने में तो छोटे लगते हैं, लेकिन हो सकता है यह त्वचा के कैंसर का संकेत हों। त्वचा पर रैशेज, तिल या बथज़् माक्सज़् में होने वाले बदलावों को हल्के में न लें, ये त्वचा के कैंसर का इशारा भी हो सकते हैं।
हमारे देश में त्वचा कैंसर जितनी तेजी से फैल रहा है, उतनी ही तेजी से इसके नए-नए प्रकार सामने आ रहे हैं। पहले सिर्फ त्वचा कैंसर मेलेनोमा के बारे में ही सुनने को मिलता था, लेकिन अब डॉक्टरों को इसके और भयानक रूपों के बारे में पता चला है।
क्या है त्वचा कैंसर
डॉ. रमेश सरीन की मानें तो त्वचा कैंसर में त्वचा की कोशिकाएं जरूरत न होने पर भी नई कोशिकाओं में बदलती रहती हैं। पुरानी कोशिकाओं का नई कोशिकाओं में बदलना शरीर के लिए सामान्य बात है, लेकिन जरूरत न होने पर भी त्वचा की कोशिकाएं विभाजित होती रहती हैं तो त्वचा कैंसर हो सकता है।
त्वचा कैंसर के लक्षण
* त्वचा पर रैशेज, तिल या अन्य बथज़् माक्सज़् में होने वाले बदलाव त्वचा कैंसर का लक्षण हो
सकते हैं।
* त्वचा पर चार हफ्तों से ज्यादा समय से धब्बे हों तो ये त्वचा के कैंसर का संकेत हो सकते हैं।
* एक्जिमा यानी खाज भी त्वचा के कैंसर का लक्षण हो सकता है। यदि यह समस्या कोहनी, हथेली या घुटनों पर दिखे तो लापरवाही न बरतें।
* त्वचा पर बहुत अधिक लाली और जलन भी त्वचा के कैंसर का लक्षण हो सकते हैं।
* माथे, गाल, ठुड्डी और आंखों के आसपास की त्वचा लाल हो और उसमें खूब जलन हो तो यह त्वचा कैंसर हो सकता है।
क्या है कारण
डॉक्टरों और शोधकताओज़्ं का मानना है कि त्वचा के अधिक समय तक सूरज की किरणों के सीधे संपकज़् में आने से भी त्वचा का कैंसर हो सकता है। धूप में ज्यादा रहने वाले लोग बेसल सेल कासिज़्नोमा कैंसर का अधिक शिकार होते हैं। साफ है कि अगर आप अधिक समय तक धूप में रहते, बोटिंग करते या तैरते हैं तो भी आपके लिए सूरज की किरणों से अपना बचाव करना आवश्यक है। जिनकी त्वचा गोरी हो, उन्हें यह बीमारी होने का खतरा अधिक होता है।
कठिन नहीं है इलाज
बेसल सेल और स्क्वेमस सेल कासिज़्नोमा का इलाज मामूली सजज़्री द्वारा और त्वचा की सतह का इलाज दवाओं द्वारा किया जा सकता है। सजज़्री विकिरण या रसायन चिकित्सा के बाद की जाती है। सजज़्री शरीर में ऊतकों के एक क्षेत्र को नष्ट कर सकती है। ऊर्जा किरणों और कणों का उपयोग कैंसर कोशिकाओं को मारने के लिए किया जाता है। विकिरण उपचार शरीर के बाहर केंद्रित रहते हैं और त्वचा के कैंसर के इलाज के लिए सर्जरी के साथ प्राथमिक उपचार भी किया जाता है।
इन बदलावों पर नजर रखें
* जब बर्थ माक्र्स का आकार बढऩे लगे, रंग बदलने लगे, इस पर खुजली हो या खून निकले तो डॉक्टर से जरूर मिलें। यह त्वचा के कैंसर का शुरुआती दौर हो सकता है।
* त्वचा पर अगर धब्बे चार हफ्तों से ज्यादा बने रहें तो यह त्वचा के कैंसर का संकेत हो सकता है। इसमें जलन हो या खून बहे तो डॉक्टर से जरूर मिलें।
* एक्जिमा यानी खाज भी त्वचा के कैंसर का लक्षण हो सकता है।
* त्वचा पर बहुत अधिक लाली और जलन हो तो यह भी इस कैंसर का लक्षण है।
क्या कहते हैं आंकड़े
55 हजार से ज्यादा लोग दुनिया भर में हर साल त्वचा कैंसर से मरते हैं।
50 भारतीयों को हर रोज त्वचा कैंसर होता है एक शोध के अनुसार।
09 लाख कैंसर के नए मरीजों की पुष्टि होती है भारत में हर वषज़्।
02 प्रतिशत कैंसर त्वचा के होते हैं तमाम कैंसरों में एम्स की रिपोटज़् के अनुसार।
पराबैंगनी किरणों से बचाव
सूरज की पराबैंगनी किरणें शरीर के भीतर जाकर कोशिकाओं की आनुवंशिक संरचना को बदल सकती हैं। इस कारण त्वचा का कैंसर हो सकता है। इसलिए तेज धूप में निकलने से पहले सनस्क्रीन का प्रयोग करें। कुछ समय पूवज़् ऑस्ट्रेलियाई शोधकताओज़्ं ने एक शोध में पाया था कि सनस्क्रीन द्वारा न सिफज़् सनबनज़् से त्वचा की सुरक्षा होती है, बल्कि यह तीन प्रकार के त्वचा कैंसरों से लडऩे वाली सुपरहीरो जीन की भी रक्षा करने में सक्षम होता है। यूवीए किरणें त्वचा के पिग्मेंटेशन को बढ़ाती हैं, जबकि यूवीबी किरणें टैनिंग और स्किन कैंसर का कारण बनती हैं।
खानपान है मददगार
विटामिन डी की सही मात्रा लें। यह त्वचा को सूयज़् की हानिकारक अल्ट्रावॉयलेट किरणों से बचा कर कैंसर के खतरे को कम करता है। चाय पिएं। इसमें मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट यौगिक त्वचा को हानिकारक किरणों से बचाते हैं। ग्रीन टी में मौजूद पॉलीफेनल भी स्किन कैंसर से बचाव करता है। टमाटर और अंगूर भी नियमित रूप से खाएं। त्वचा पर तेल की मालिश करें। बादाम और नारियल के तेल में प्राकृतिक तौर पर एसपीएफ होता है। रसभरी के बीज के तेल में एसपीएफ 30 तथा गेहूं के तेल में विटामिन ई होता है, जो आपको एसपीएफ 20 प्रदान करता है।