स्पेशल डेस्क। प्रसिद्ध विचारक मैरी मैक कन ने लिखा है कि अपने बच्चे के साथ सदैव ईमानदार रहें क्योंकि बच्चों से जल्दी झूठ बोलना कोई और नहीं सीखता। इस बात की गंभीरता को जब तक हम और आप समझ पाते हैं तब तक काफी देर हो चुकी होती है।
बात दरअसल यह है कि हम बच्चों को सफल और एक अच्छा इंसान बनाना चाहते हैं, लेकिन कई बार आपको महसूस होता है कि आप बच्चे को जैसा बनाना चाह रहे थे, वैसा बच्चा बन नहीं रहा है। ऐसे में ध्यान देने की जरूरत है कि हमारी ही कथनी और करनी में अंतर तो नहीं है।
हमारे व्यवहार में बहुत छोटी-छोटी ऐसी बातें हैं जो शायद हमारे लिए उतनी महत्वपूर्ण हैं लेकिन उनका बच्चों की मानसिकता पर गहरा असर होता है। बच्चा हमारी हर हरकत को बड़ी सूक्ष्मता से देख रहा, महसूस कर रहा और ग्रहण कर रहा है।
सम्मान की जरूरत है बच्चों को
बच्चों के मनोविज्ञान पर एक पुस्तक है लर्न टू स्लैप योर चाइल्ड। जिसमें डॉक्टर सुनील वैद कहते हैं कि आपको अपने बच्चे के सामने हमेशा स्टेज पर खड़े हो कर मुख्य भूमिका अदा करनी होती है। आपका बच्चा आलोचक की दृष्टि से आपकी चैतन्य या अवचेतन से की गई क्रियाओं पर नजर रखता है। वह आपकी अदाकारी पर तालियां नहीं बजाएगा, परंतु उसकी नजर में आपकी क्रियाओं से आपके लिए सम्मान बढ़ेगा या घटेगा। यदि आप अपने से बड़ों की इज्जत नहीं करेंगे तो बच्चा भी कल को आपकी इज्जत नहीं करेगा।
आज्ञा थोपने की बजाए समझाएं
बच्चों पर अपनी आज्ञाओं को थोपा जाए, बेवजह उसे दण्ड दिया जाए तो उसकी नजर में आपका सम्मान भी कम हो जाएगा और वह आपकी आज्ञा का पालन करना भी कम कर देगा। बच्चे ने अगर कोई गलती की है तो धैर्यपूर्वक उसे समझाएं, एहसास करवाएं कि उसकी गलती कहां है और कोई काम कैसे किया जाना चाहिए था। गलती का बिना एहसास करवाए सजा देंगे तो बच्चे के मन में विद्रोह पैदा होगा, जो उसे उस गलती को बार-बार करने के लिए उकसाएगा।