स्पेशल डेस्क। शादी दो दिलों, दो विचारधाराओं, दो परंपराओं का ऐसा संगम है, जहां एक-दूसरे के साथ अच्छी बॉडिंग रखी जाए तो जीवन स्वर्ग बन जाता है। लेकिन जरा सी खटास मीलों की दूरियां एक पल में बढ़ा देती हैं। दाम्पत्य में जितना ज्यादा धैर्य और विश्वास होगा, खुशियां उतनी ज्यादा और देर तक रहेंगी। अक्सर क्षणिक और तात्कालिक रिएक्शन इस नाजुक बंधन पर कठोर प्रहार करने वाले हो सकते हैं। फैमिली काउंसलर आफताब अहमद बता रहें हैं कि कैसे अपने दाम्पत्य को सुख की डोर से बांधे रखा जाए। ऐसे नौ नियम जिनका पालन करें, तो यह बंधन कभी बोझ नहीं लगेगा।
बचें एक-दूसरे की आलोचना से
दाम्पत्य संबंधों में एक-दूसरे की आलोचना से बचने की कोशिश करनी चाहिए। आलोचना रिश्तों में खटास पैदा करती है। इससे आपस में आत्मीयता, प्रेम आकर्षण समाप्त हो जाता है। पति-पत्नी को एक-दूसरे के पहनावे, रहन-सहन, पसंदीदा भोजन व बोल-चाल आदि में नुक्ताचीनी नहीं करनी चाहिए।

बनाएं रखें विश्वास
विश्वास पर दुनिया कायम है, इस बात को ध्यान में रखते हुए अपने रिश्ते को निभाते रहें। यदि पति-पत्नी एक-दूसरे के चरित्र, व्यवहार व उसकी रुचि के कार्यो पर संदेह करने लगते हैं तो आपसी मधुर संबंधों के बीच गहरी खाई पैदा हो जाती है। अत: आपसी विश्वास की नींव मजबूत रखें।
कोशिश करें तो बनेगा तालमेल
विचार चाहे जितने आसमान हों, लेकिन बीच का कोई न कोई रास्ता तो होता ही है। इसलिए अपने विचार साथी पर थोपने की बजाए एक दूसरे के विचारों का सम्मान करें। ऐसा करने पर अल्प धन व सीमित सुख साधनों व छोटे मकान में भी हंसी-खुशी का जीवन जी सकते हैं।

पुरुषत्व व स्त्रीत्व गुण
पति में शक्ति, साहस, सक्रियता व निर्भयता आदि गुणों का समावेश तथा पत्नी में कोमलता, मृदुता, दयालुता, सौम्यता व सहानुभूति के गुण हों तो दाम्पत्य जीवन में घनिष्ठता बढ़ती है।
पठन-पाठन व कला प्रेम
पति-पत्नी यदि नियमित रूप से शांत चित्त होकर अच्छा साहित्य पढ़ें और अपनी रुचि की कला को एक-दूसरे के सहयोग से निखारें तो जीवन आनंदित रहेगा। साथ ही संतानें भी श्रेष्ठ व सद्गुणी होंगी।
अहं का टकराव होता है घातक
पति-पत्नी दोनों को अपने अहं के टकराव से बचना चाहिए और मन में प्रेम व आपसी सेवा-सत्कार के भाव को निभाने का भाव होना चाहिए। धन खर्च करने में दोनों को ही बिना किसी अहं भाव के मिलजुल कर सहयोग करना चाहिए।
प्रणय संबंधों में पूर्ण समर्थन
पति-पत्नी के मध्य प्रणय संबंधों का अभाव भी जीवन में कटुता उत्पन्न करता है। दोनों पक्षों की ओर से प्रणय संबंधों में पूर्ण समर्थन की भावना हमेशा बनी रहनी चाहिए। इसमें आयु के अंतर की परिस्थितियों को सकारात्मक दृष्टिकोण से देखें।

सहानुभूति की भावना
पति-पत्नी को एक-दूसरे के प्रति गहरी सहानुभूति होनी चाहिए। यदि कोई एक बीमार हो या अन्य शारीरिक-मानसिक परेशानी में हो तो दूसरे को सहानुभूतिपूर्वक इलाज में तन-मन-धन से सहयोगी होना चाहिए।
सीखें एक-दूजे का माफ करना
पति-पत्नी में से किसी की कोई गलती एक-दूसरे की नजरों में शर्मनाक भी हो सकती है। इस बात को लेकर कितने परिवारों में बिखराव आ जाता है। अत: दोनों को ही एक-दूसरे को इसके लिए माफ करना चाहिए।
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