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Tag Archives: Holi poems

प्रेम की होली

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मुंशी प्रेमचंद्र गंगी का सत्रहवाँ साल था, पर वह तीन साल से विधवा थी, और जानती थी कि मैं विधवा हूँ, मेरे लिए संसार के सुखों के द्वार बन्द हैं। फिर वह क्यों रोये और कलपे? मेले से सभी तो मिठाई के दोने और फूलों के हार लेकर नहीं लौटते? …

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जानिए क्यों खास है इस बार का होलिका दहन

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धर्म डेस्क। 15 मार्च मंगलवार से होलाष्टक शुरू हो गए हैं। दो तिथी होने के काण होलिका दहन को लेकर असमंजस की स्थिति है। पंडितों का कहना है कि 22 मार्च को पूर्णिमा तिथि रात्रि के समय में विद्यमान रहेगी, इसलिए इसी दिन होलिका दहन किया जाएगा, साथ ही अगले …

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