
इंटरनेशनल डेस्क। धन से एश्वर्य खरीदा जा सकता है लेकिन सुकून नहीं… समय के साथ-साथ अब यह परिभाषा बदलने लगी है। लोगों का मानना है कि धन वह ताकत है जो हर हाल में खुशियों को आपके कदमों में लाकर रख सकती है। यह विचार खासतौर पर एशियाई देशों के हैं।
हाल ही में जारी हुए पेव रिसर्च सेन्टर के ग्लोबल सर्वेक्षण के अनुसार, तेजी से विकसित हो रहे देशों जैसे इंडोनेशिया, चीन और मलेशिया में लोगों को लगता है कि धन के माध्यम से खुशियां खरीदी जा सकती हैं।
43 देशों में हुआ सर्वेक्षण
रिपोर्ट में कहा गया है कि राष्ट्रीय आय में वृद्धि का व्यक्तिगत संतोष से करीबी रिश्ता है। सर्वे में शामिल 43 देशों के लोगों से पूछा गया कि वे स्वयं को जीवन की सीढ़ी के किस पायदान पर देखते हैं। इसमें सबसे ऊंचे पायदान का अर्थ सर्वोत्तम संभव जीवन और सबसे निचले पायदान का अर्थ है सबसे खराब जीवन।
हालांकि आंकड़े यह भी बताते हैं कि धन से कितनी खुशियां खरीदी जा सकती हैं, उसकी भी एक सीमा है । उदाहरण के लिए मलेशिया के 56 प्रतिशत लोगों ने स्वयं को सीढ़ी के सातवें या उससे ऊपर के पायदान पर रखा, जबकि उसके मुकाबले गरीब राष्ट्र बांग्लादेश में महज 36 प्रतिशत लोगों ने खुद को ऊंचे पायदान पर रखा।
एशिया के लोगों में पिछले पांच वर्षों में ना सिर्फ व्यक्तिगत संतोष बढ़ा है बल्कि वे अपने भविष्य को लेकर भी काफी आशावान हैं । बांग्लादेश, थाईलैंड, इंडोनेशिया, चीन, फिलीपीन और भारत के ज्यादातर लोगों को लगता है कि पांच साल बाद उनका जीवन स्तर आज के मुकाबले बेहतर होगा।
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