ट्रैवल डेस्क। यूं तो देश में कई मशहूर प्रेम कहानियां कही गईं और जीवन्त भी हुईं हैं। लेकिन बहुत कम ऐसे निशां बाकी हैं जो वाकई अमर प्रेम की गाथा कहते हो। ताजमहल के बाद यदि जीवन्त प्रेम गाथा कहतीं हुईं इमारतें हैं तो वे केवल मध्यप्रदेश के मांडू में हैं। जहां रानी रूपमती और बादशाह बाज बहादुर के अमर प्रेम के प्रतीक आज भी सहेजकर रखे गए हैं। हरियाली की खूबसूरत चादर ओढ़ा मांडू विदेशी पर्यटकों के लिए विशेष तौर पर एक सुंदर पर्यटनस्थल रहा है।
मध्यप्रदेश में इंदौर से कुछ ही किमी. की दूरी पर स्थित है मांडू। वैसे तो यहां आने के लिए हर मौसम अनुकूल है लेकिन शुरूआत बरसात और ठंड का मौसम मांडू की खूबसूरती देखने के लिए सबसे बेहतर है। मांडू का दूसरा नाम मांडवगढ़ भी है। यह विन्ध्याचल की पहाडिय़ों पर लगभग 2,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। मांडू को पहले शादियाबाद के नाम से भी जाना जाता था, जिसका अर्थ है खुशियों का नगर।
यहां से होगी शुरूआत
मांडू में लगभग 12 प्रवेश द्वार है, जो मांडू में 45 किलोमीटर के दायरे में फैले हैं। इन दरवाजों में दिल्ली दरवाजा प्रमुख है। यह खड़ी ढाल के रूप में घुमावदार मार्ग पर बनाया गया है, जहां पहुंचने पर हाथियों की गति धीमी हो जाती थी। मांडू के प्रमुख दरवाजों में आलमगीर दरवाजा, भंगी दरवाजा, रामपोल दरवाजा, जहांगीर दरवाजा, तारापुर दरवाजा आदि अनेक दरवाजे हैं।
जामा मस्जिद और खूबसूरत महल
मांडू का मुख्य आकर्षण जामा मस्जिद है, जिसका निर्माण महमूद प्रथम के शासनकाल में पूरा हुआ था। यह भी कहा जाता है कि जामा मस्जिद डेमास्कस (सीरिया देश की राजधानी) की एक प्रसिद्ध मस्जिद का प्रतिरूप है। जामा मस्जिद के सामने ही अशरफी महल है। इसके बाद जहाज महल की खूबसूरती देखी जा सकती है। जिसका निर्माण 1469 से 1500 ईस्वी के मध्य हुआ था। यह महल जहाज की आकृति में दो कृत्रिम तालाबों कपूर तालाब व मुंज तालाब दो तालाबों के मध्य में बना हुआ है। इसे देखकर लगता है जैसे तालाब के बीच में कोई सुंदर जहाज तैर रहा हो।
हिंडोला महल मांडू के खूबसूरत महलों में से एक है। इस महल की दीवारे कुछ झुकी होने के कारण यह महल हवा में झुलते हिंडोले के समान प्रतीत होता है। यहां के सुंदर कॉलम इसे और भी खूबसूरती प्रदान करते हैं। इस महल के पश्चिम में कई छोटे-बड़े सुंदर महल है। इसके समीप ही चंपा बाबड़ी है।
रानी रूपमती के महल को देखे बगैर मांडू दर्शन अधूरा सा है। 365 मीटर ऊंची खड़ी चट्टान पर स्थित इस महल का निर्माण बाजबहादुर ने रानी रूपमती के लिए कराया था। कहा जाता है कि रानी रूपमती सुबह ऊठकर मां नर्मदा के दर्शन करने के बाद ही अन्न-जल ग्रहण करती थी। अत: रूपमती के नर्मदा दर्शन को सुलभ बनाने हेतु बाजबहादुर ने ऊंचाई पर स्थित इस महल का निर्माण कराया था।
बाज बहादुर के महल का निर्माण 16वीं शताब्दी में किया गया था। इस महल में विशाल आंगन व हॉल बने हुए हैं। यहां से हमें मांडू का सुंदर नजारा देखने को मिलता है।