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Tag Archives: poems of Munshi Prem Chand

मां के लिए कविता

mummy

माँ मेरी लोरी की पोटली माँ मेरी लोरी की पोटली, गुड़ जैसी!! मिट्टी पे दूब-सी, कुहे में धूप-सी, माँ की जाँ है, रातों में रोशनी, ख्वाबों में चाशनी, माँ तो माँ है, ममता माँ की, नैया की नोंक-सी, छलके दिल से, पत्तों में झोंक-सी। माँ मेरी पूजा की आरती, घी …

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प्रेम के लिए कविता

love

हाँ मुझे तुमसे ही प्यार है हाँ मुझे तुमसे ही प्यार है, पर तुम कहाँ हो, मुझे तुम्हारा अभी तक इंतज़ार है, हाँ मुझे तुमसे ही प्यार है, कभी सपनो से बाहर भी आया करो, मुझे अपनी अदा से तड़पाया करो, किस कदर तुम्हारा मुझ पर खुमार है, हाँ मुझे …

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होली के लिए कविता

holi

होली होली आई , खुशियाँ लाई खेले राधा सँग कन्हाई फैन्के इक दूजे पे गुलाल हरे , गुलाबी ,पीले गाल प्यार का यह त्योहार निराला खुश है कान्हा सँग ब्रजबाला चढा प्रेम का ऐसा रँग मस्ती मे झूम अन्ग-अन्ग आओ हम भी खेले होली नही देन्गे कोई मीठी गोली हम …

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हिंदी की कविताएं

hindi kavita

थके-थके से शब्द हैं तो भी थके-थके से शब्द हैं तो भी थके-थके से ही हैं शब्दों के संवाहक तो भी मैं ही नहीं एक अकेला किंतु हैं और-और भी अनेकों जिनके सीने में अंगार भरी सड़कें बर्फ से ढंके हैं द्वीप उधार बर्फ की चादर लपेट सोया है साहस …

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